Bihar Politics Exposed

बिहार की राजनीति और नेताओं की पोल खोल | B<div class="separator" style="clear: both;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhR2IY_jMoT-WsDjRz0PqAbqwRLu5TZ9-PDsjbLYMfM6XH4nyMYZRFLwzCEht_UIKFR988_YWj9nyOvSuVOTcj_3grNjx7L3La0Arb05fXZQ3tjY0rQB29j8yjlW_gZ2HG-oTd7_XyfRDel7ZTEm6SgmWC7OJ-W9F2QDooBIrWrYfcyk-wg99K04EAsNeN2/s1536/1000016418.png" style="display: block; padding: 1em 0; text-align: center; "><img alt="" border="0" width="320" data-original-height="1024" data-original-width="1536" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhR2IY_jMoT-WsDjRz0PqAbqwRLu5TZ9-PDsjbLYMfM6XH4nyMYZRFLwzCEht_UIKFR988_YWj9nyOvSuVOTcj_3grNjx7L3La0Arb05fXZQ3tjY0rQB29j8yjlW_gZ2HG-oTd7_XyfRDel7ZTEm6SgmWC7OJ-W9F2QDooBIrWrYfcyk-wg99K04EAsNeN2/s320/1000016418.png"/></a></div>ihar Politics Exposed

बिहार की पार्टियाँ: नाम अलग, नाटक एक

बिहार की राजनीति किसी पुरानी रामलीला जैसी हो गई है - पात्र बदलते हैं, स्क्रिप्ट वही रहती है। हर पार्टी कहती है "हम जनता के लिए हैं", लेकिन जनता पूछ रही है - तो हम फिर भी लाइन में क्यों हैं?

"नेताओं के हेलिकॉप्टर बड़े होते जा रहे हैं, पर जनता के घरों में रोशनी अब भी दिवाली तक सिमटी है।"

RJD गरीबों के मसीहा... जो हेलिकॉप्टर से आते हैं

लालू जी का कुनबा अब नए-नए टिकट वितरण के योगा में लगा है। जब जनता राशन के लिए लाइन में खड़ी हो, नेता लंदन से लोकतंत्र बचा रहे होते हैं

JD(U) विकास ऐसा कि खुद भी खो गए

नीतीश बाबू को कभी धारा पसंद आती है, कभी बहावकुर्सी उनकी जाति बन चुकी है - चाहे BJP के साथ हो या RJD के।

BJP "सबका साथ", मगर दिखता है खास का हाथ

यहाँ डिजिटल भारत है, लेकिन ग्रामीण वोटर अभी भी बैलगाड़ी से पोलिंग बूथ तक जाता है। घोषणाएँ इतनी कि अब घोषणा पत्र को ही ग्रंथ मान लिया गया है।

Congress खोज में पार्टी, कार्यकर्ता और वोट

कांग्रेस अब सिर्फ पोस्टर में दिखती है। नेता इतने अनुभवी हैं कि हर चुनाव में हार का अनुभव और बढ़ता है।

LJP & VIP नाम सुनो, याद न करो

ये पार्टियाँ चुनाव में कमंडल और सोशल इंजीनियरिंग के ज़रिए प्रवेश करती हैं, फिर 5 साल गायब मोड में चली जाती हैं।

AIMIM धर्म के नाम पर उम्मीद

सिर्फ धार्मिक नारों से लोकतंत्र नहीं चलता - लगता है अब बिहार संसद नहीं, मजलिस हो गया है

"जब पटना के अस्पतालों में बेड न मिले, तो नेता विदेश के हॉस्पिटल्स में इलाज कराते हैं - यही है बिहार का 'सबका साथ, सबका विकास'!"

निष्कर्ष: जनता, अबकी बार... खुद को वोट दो!

जब हर पार्टी एक जैसी लगे, तो मतदाता को ही नेता बन जाना चाहिए - जिम्मेदारी का, जागरूकता का, और बदलाव का

© 2025 ErnstSonu. All Rights Reserved.