**शीर्षक: भलाई कभी व्यर्थ नहीं जाती**

          **शीर्षक: भलाई कभी व्यर्थ नहीं जाती**

एक दूर-दराज़ के छोटे से गाँव में एक साधारण, परंतु दयालु व्यक्ति रहता था, जिसका नाम था रामू। रामू की जीवनी उस गाँव में एक रोशनी की किरण सी थी। उसके पास ज्यादा साधन नहीं थे, फिर भी वह हर हाल में दूसरों की सहायता करने से पीछे नहीं हटता था। गाँव में अक्सर ऐसा कहा जाता था कि रामू की भलाई से किसी का दिल नहीं दुखता, क्योंकि उसकी नेकनीयत में एक अलग ही गर्माहट थी।

एक दिन, गाँव की पगडंडी पर एक अजनबी कांपते हुए पहुँच गया। गर्मी की तीव्र धूप में प्यास से तरसता हुआ वह थक-हार कर रामू के आंगन में पहुंचा। बिना किसी हिचकिचाहट के, रामू ने उसे ठंडा पानी, कुछ ताजा फलों का रस, और साधारण लेकिन स्वादिष्ट भोजन खिलाया। उस अजनबी की आँखों में आभार के आँसू छलक पड़े। उसने रामू का धन्यवाद किया और चलते-चलते एक हल्की मुस्कान के साथ वहाँ से निकल गया।

समय के पाठ में, गाँव पर अचानक अकाल आ गया। सूखे की मार से खेत सूखने लगे, लोग कठिनाइयों में डूबने लगे। लेकिन, रामू ने अपने दिल में हमेशा की तरह आशा की थाप रखी थी। हर दिन वह न केवल अपने लिए बल्कि गाँव के हर एक व्यक्ति के लिए कुछ न कुछ करता रहा – बीमारों का इलाज करवाना, जरूरतमंदों को भोजन देना, और हौसला बांटता रहा। उसकी मेहनत और सकारात्मकता एक अदृश्य ऊर्जा की तरह फैल गई।

कुछ महीनों बाद, गाँव में एक आश्चर्यजनक परिवर्तन आया। उसी अजनबी, जिसे रामू ने एक दिन बिना किसी अपेक्षा के स्नेह दिया था, असल में एक उच्च पदस्थ अधिकारी निकला था। उसने गाँव की स्थिति से प्रभावित होकर एक विशाल अभियान शुरू किया। उसके मुख्य उद्देश्यों में गाँव के लिए नवीन जल आपूर्ति, आधुनिक कृषि उपकरणों की व्यवस्था और एक सामुदायिक केन्द्र का निर्माण शामिल था। गाँव में रुचि और प्रयास के साथ यह परिवर्तन धीरे-धीरे वास्तविकता में बदल गया। गाँव के किसान अब बेहतर तकनीक के इस्तेमाल से खेती करने लगे, और गाँव में नई उम्मीद की किरण जगमगाने लगी।  

रामू की एक साधारण सी भलाई, जो किसी भी बड़े एहसान की अपेक्षा न थी, अंततः पूरे गाँव की तकदीर बदल गई। गाँव के सभी लोगों ने महसूस किया कि असली शक्ति अच्छे कर्मों में ही निहित है। रामू की मुस्कुराहट और उसके निस्वार्थ प्रेम ने साबित कर दिया कि भलाई कभी व्यर्थ नहीं जाती। उसके उन छोटे-छोटे कदमों ने समय के साथ एक विशाल परिवर्तन की हवा चलाई, जिसने लोगों के दिलों में उम्मीद के दीप जलाए।  

इस कहानी से यह सीख मिलती है कि हर एक नेक काम, चाहे वह कितना भी छोटा क्यों न लगे, अपने समय पर फल देता है। जीवन में आने वाली मुश्किलों के बावजूद, अगर हम निस्वार्थ भलाई का पथ चुनें तो एक दिन उसकी सकारात्मक ऊर्जा जरूर हमें जीवन में नई दिशा दिखा देगी।  

यह कहानी हमें यह भी याद दिलाती है कि इंसानी संवेदनाएँ किसी भी भौतिक सीमा से परे होती हैं। जब हम दूसरों के लिए कुछ अच्छाई करते हैं, तो वह अच्छाई एक अकल्पनीय रूप में वापस लौट आती है, और ऐसा लगता है मानो सारी दुनिया हमारे साथ हो।  

क्या आपको लगता है कि आपके आस पास भी कोई ऐसा अनुभव हुआ हो जहाँ किसी छोटी सी भलाई ने बड़ी मुसीबतें हल कर दी हों? अनुभव जीवन में और भी अनेक रंग भर सकते हैं।