माँ के जूते Short story

माँ के जूते

राहुल उस दिन स्कूल से लौटा तो कुछ उदास था। माँ ने पूछा, "क्या हुआ बेटा?"

राहुल ने धीरे से कहा, "माँ, कल स्कूल में एक ड्रामा है और मुझे एक अच्छे जूते चाहिए। मेरे पास जो हैं, वो बहुत पुराने हैं।"

माँ ने मुस्कुराते हुए कहा, "देखते हैं बेटा, कुछ करते हैं।"

रात को जब राहुल गहरी नींद में सो गया, माँ ने अपनी अलमारी खोली। वहाँ रखे अपने शादी वाले चमकदार सैंडल को देखा, जिन्हें उसने कभी किसी मौके पर नहीं पहना था। उसने बिना कुछ सोचे वो सैंडल निकाल लिए और अगले दिन बाजार जाकर उन्हें बेच दिया।

राहुल को अगली सुबह नए जूते मिले। वो बहुत खुश था।

कुछ दिनों बाद माँ के पैरों में छाले हो गए। राहुल ने देखा कि माँ नंगे पाँव काम कर रही हैं।

उसने पूछा, "माँ, आपके सैंडल कहाँ हैं?"

माँ ने सिर झुकाकर बस इतना कहा, "वो जूते बन गए किसी और की मुस्कान के लिए..."

सीख (Moral): माँ-पिता अक्सर बिना कुछ कहे हमारे लिए त्याग कर देते हैं। उनका प्रेम नापा नहीं जा सकता, बस समझा जा सकता है।